महत्व – जिस प्रकार मनुष्य एवं जानवरों को संतुलित आहार की आवश्यकता होती है, उसी प्रकार फसलों के लिये भी संतुलित आहार ( पोषक तत्वों) की आवश्यकता होती है। अत्यधिक एवं असंतुलित उर्वरकों तथा कृषि रसायनों के प्रयोग से खेत की मिट्रृटी मृत हो रही है या दिनों दिन उत्पादन क्षमता घट रही है। जिन क्षेत्रों में अधिक उपज वाली उन्नत, संशोधित (रिसर्च) एवं संकर किस्में उगाई जाती है वहॉं मिट्टी में आवश्यक पोषक तत्वों की कमी बहुत तेजी से होती है। अत: भरपूर उत्पादन लेने के लिए खेत की मिट्टी में उपलब्ध तत्वों की मात्रा एवं मिट्टी में स्वस्थ्य जानने के लिए मिट्टी परीक्षण (जॉंच) करना आवश्यक हो जाता है
मिट्टी की जॉंच आवश्यक क्यों ?
1. फसलों से अधिक उपज लेने के लिये यह जानना जरूरी हो जाता है कि मिट्टी में कौन-कौन से पोषक तत्व कितनी मात्रा में उपलब्ध हैं।
2. खेत की मिट्टी कौन-कौन से फसल के लिये उपयुक्त है।
3. फसल के अनुरूप जैविक खाद, उर्वरकों की मात्रा निर्धारण के लिये
4. मिट्टी की अम्लीयता, क्षारीयता (पी.एच.) विद्युत चालकता का स्तर जानने के लिए।
5. समस्याग्रस्त, अम्लीय, क्षारीय, ऊसर मिट्टी के सुधार हेतु।
6. लक्षित उत्पादन प्राप्त करने एवं उर्वरकों की उपयोगिता क्षमता में वृद्धि के लिये।
मिट्टी का नमूना
-बहुवर्षीय/खड़ी फसल में पौधों की कतार के बीच से मिट्टी का नमूना लें।
-फलों वाले बगीचों से फल तुड़ान के १०-१५ दिन बाद मिट्टी का नमूना लें।
-गर्मियों में रबी फसल की कटाई के बाद से लेकर खरीफ की बुवाई के पहले तक।
-जहां लगातार पूरे वर्ष फसलें ली जाती है वहां कटाई के तुरंत बाद।
मिट्टी नमूना लेने के लिए सामग्री
-खुरपी या आगर, तसला या प्लास्टिक की साफ बाल्टी, एक किग्रा. की दो पॉलीथीन, धागा, सादा कागज, साफ पुराना अखबार।
सावधानियॉं – किसान भाइयों मिट्टी नमूना लेने के पहले निम्रलिखित सुझावों पर अवश्य ध्यान दें-
1. वृक्ष और देशी खाद के ढेर के नीचे की मिट्टी न ले।
2. खेत के कोनों एवं मेड़ से एक मीटर अंदर के ओर की मिट्टी न लें।
3. अधिकतर समय पानी भरे रहने वाले एवं नाली के पास के स्थान से मिट्टी न लें।
4. खेत की मिट्टी यदि अलग – अलग है तो नमूना की मिट्टी अलग –लगग लें।
5. उर्वरक, खाद, नमक की बोरी के ऊपर मिट्टी नमूना न सुखवायें।
6. खेत की मिट्टी में स्वाभाविक रूप से पाये जाने वाले कंकड़ आदि अलग न करें।
7. मिट्टी नमूना रखने के लिए नई एवं साफ पॉलीथीन का प्रयोग करें।
8. यदि खेत ऊंचहन, निचहन है और फसल अलग- अलग बोते हैं तो मिट्टी का नमूना अलग – अलग लें।
9. चाही गई जानकारी नमूना पत्रक में भरकर मिट्टी के साथ अवश्य भेजें।
10. नमूना पत्रक उपलब्ध न होने पर सादे कागज में नाम, पता, रकबा, खेत निशानी, सिंचाई स्त्रोत, असिंचित, ली गई फसल, प्रस्तावित अगली फसल दिनांक, अन्य संबंधित जानकारी लिखकर मिट्टी नमूना के साथ भेजें।
11. अधिकतम एक हेक्टेयर क्षेत्रफल तक के खेत से एक नमूना लें।
मिट्टी का नमूना कैसे लें (तरीका) ?
जिस खेत में मिट्टी लेना हो उसमें अनिश्चित आधार पर दस से बारह बिंदुओं/जगहों का चुनाव करें।
चुने गये बिंदुओं/स्थानों की उपरी एक-दो सेमी. सतह साफ करके घास, पत्थर, कचड़ा आदि हटा दें।
खुरपी की सहायता से चुने गये स्थानों में व्ही आकार का 6 – 8 इंच गहरा काट लगाकर तसला या बाल्टी में रखते जायें।
खेत से लायी गई मिट्टी को साफ फर्श के ऊपर अखबार में बिछाकर छाया में सुखा लें।
अब मिट्टी से घास, गोबर, पत्थर के टुकडे फसल अवशेष निकालकर फेंक दें व मिट्टी को भुरभुरी बना लें।
अब मिट्टी के ढेर को लगभग 3 इंच की मोटाई में गोलाकार रूप देकर सीधी रेखा चार बराबर भागों में बॉटकर आमने- सामने की दो भाग मिट्टी हटा दें। शेष दो भाग को मिलाकर इसे भी चार भागों में बॉटकर दो आमने – सामने के भाग अलग करें। ऐसा तब कि करें जब कि कि शेष दो भाग की मिट्टी (500 ग्राम) आधा किलोग्राम के लगभग हो जाये।
साफ पॉलीथीन में शेष आधा किलोग्राम मिटटी भरकर धागा से बांध दें।
दूसरी नई पॉलीथीन में मिट्टी वाली पॉलीथीन, जानकारी सहित नमूना पत्रक रखकर धागा से पॉलीथीन को बॉंध दें।
अब आपका यह मिट्टी नमूना जांच के लिए तैयार है।
Source
Source-Javik Kheti
Comments
PRAMOD KUMAR
i want also examin to soil why ?
hfadm
Yes 9857007007
Anil saklani
Kya aapke paas bhi soil testing ke lab hai
hfadm
Yes
HemRajHasta
Where is soil testing available in Shimla distt.in Himachal
hfadm
we provide soil testing facilities. contact on helpline
Rattan Singh
बहुत अच्छा जानकारी देने के लिए धन्यवाद
hfadm
thank you
Brijkishor singh
परखनली के द्वारा मिट्टी की अम्लीय जांच नहीं होती kya